लेखनी कविता -अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ - कैफ़ी आज़मी

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अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ / कैफ़ी आज़मी अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ, लहू तो नहीं ये कोई और जगह है ये लखनऊ तो नहीं यहाँ तो चलती हैं ...

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